पाली के सिकंदर खान ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर बिखेरा संगीत का जादू
पाली। पाली जिले की प्रतिभाओं में एक नाम जो इन दिनों देश-विदेश में अपनी कला का परचम लहरा रहा है, वह है सिकंदर खान। ऑर्गन (पियानो) पर संगीत की मधुर धुनें बिखेरने वाले सिकंदर अब तक भारत के विभिन्न शहरों के साथ-साथ पेरिस, बैंकॉक और इंडोनेशिया में भी अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं।
संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने अपने दादा से ली, जिसके बाद उनके पिता, प्रसिद्ध माण्ड गायक अनवर अली, ने उन्हें संगीत की बारीकियाँ सिखाईं। जहां एक ओर सिकंदर अच्छा गायन भी करते हैं, वहीं उन्होंने वाद्य यंत्रों को अपना मुख्य क्षेत्र बनाया। आज वे सिर्फ ऑर्गन ही नहीं, बल्कि दोलक और तबला बजाने में भी माहिर हैं।
संघर्षों से संवरता गया सफर
निर्धन परिवार से ताल्लुक रखने वाले सिकंदर का सफर आसान नहीं रहा। बचपन में कई आर्थिक परेशानियों का सामना करते हुए उन्होंने भजन संध्याओं और छोटे-मोटे संगीत कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू किया। धीरे-धीरे उनके हुनर को पहचान मिली और वे देशभर में लोकप्रिय होते चले गए।
साल 2017 में पेरिस में हुए एक कार्यक्रम में जब सिकंदर ने ऑर्गन पर धुन बजाई, तो वहां के लोगों ने उनकी कला को खूब सराहा। यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
बड़े कलाकारों के साथ कर चुके हैं प्रस्तुति
सिकंदर खान हाल ही में फिल्म दंगल के प्रसिद्ध गायक श्रवण खान के साथ बैंकॉक और इंडोनेशिया के दौरे पर गए। इससे पहले वे श्रवण खान के साथ मुंबई, बीकानेर और पुणे जैसे शहरों में भी कई संगीत कार्यक्रम कर चुके हैं।
वे आज भी अपनी कला को निखारने के लिए रोजाना करीब दो घंटे अभ्यास करते हैं। उनका मानना है कि अनुशासन और निरंतर अभ्यास ही किसी कलाकार की असली पहचान है।
हर शैली में पारंगत
सिकंदर खान की खास बात यह है कि वे माण्ड गायकी, भजन संध्या, कव्वाली, और जैन संगीत कार्यक्रमों में भी समान रूप से धुन बिखेरते हैं। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ही उन्हें अलग पहचान दिलाती है।
पाली जिले की इस प्रतिभा ने साबित कर दिया है कि अगर लगन और मेहनत हो, तो कोई भी मंच दूर नहीं।