सूर्यनगरी में गोयल मारुत अमृततुल्य चाय का भव्य शुभारंभ
ग्राहकों के पहली पसंद बना गोयल मारूत अमृततूल्य चाय
जोधपुर। सूर्यनगरी में गुरुवार को गोयल मारूत अमृततुल्य चाय का भव्य शुभारंभ पावटा मानजी की हत्था, राजीव गाँधी भवन के पास हुआ है।
संचालक भोमराज जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि सूर्यनगरी में गोयल मारूत अमृततृल्य चाय का विशिष्ठ अतिथि समाजसेवी नरपतसिंह कच्छवाहा व अतिथि समाजसेवी किशनलाल जैन द्वारा मानजी का हत्था, राजीव गाँधी भवन के पास जोधपुर में भव्य शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर गौतम जैन, भागीरथ चौधरी, भोमाराम चौधरी, हितेश जैन, राहुल जैन, कत्र्तव्य जैन, अरिहन्त जैन, हर्ष जैन, गुलाम मोहम्मद, शम्मीउल्लाह खान सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। इस अवसर किशनलाल जैन ने कहा कि अब सूर्यनगरी वासियों को बेहतर स्वाद की चाय अमृततुल्य चाय पर मलेगी।
जैन ने बताया कि अमृततुल्य चाय आमतौर पर ग्राहकों के सामने पीतल के बर्तन में बनाई जाती है और माना जाता है कि जैसे-जैसे बर्तन पुराना होता जाता है, उसमें बनी चाय अधिक स्वादिष्ट बनती है। दूध और पानी को एक साथ उबाला जाता है फिर बहुत सारी चीनी, मसाले (इलायची, अदरक या सौंठ और अन्य मसालों का मिश्रण) और चाय पाउडर मिलाया जाता है। उसके बाद बड़े चम्मच के साथ हिलाते रहते है। यह निश्चित रूप से कोई नहीं जानता कि अमृत जैसी चाय का आविष्कार किसने और कहां किया। लेकिन ज्यादातर लोगों का मानना है कि इसकी उत्पत्ति पुणे शहर में हुई है। अब तक तो आपने अमृततुल्य चाय का स्वाद तो चखा ही होगा। यदि नहीं तो अब जरूर पीके देखे। कुछ लोगों को अमृत चाय पसंद नहीं आएगी या यह बहुत मीठी लग सकती है। लेकिन मिठास ही इस चाय की पहचान है और यह पूरे देश में प्रसिद्ध है, हर दिन लाखों लोग इस चाय को पीते हैं।
कुछ साल पहले तक इस अमृत जैसी चाय उपेक्षित थी, या चाय बेचने का धंधा भी कम औधे का माना जाता था। लेकिन आजकल आपको हर जगह किसी न किसी ब्रांड की अमृततुल्य चाय की दुकानें देखने को मिल जाएंगी और इससे देखके पता चल जाता है की चाय के कारोबार में रौनक आ गई है। आज हजारों लोग इस व्यवसाय में लाखों कमा रहे हैं और हजारों लोगों को रोजगार दे रहे हैं। आज ऐसी दुकान का होना भी एक गर्व की बात है।