विधवा, तलाकशुदा महिलाओं को चतुर्थ श्रेणी के पद पर सीधी नियुक्ति दी जाए: गहलोत

सिरोही(जयन्तिलाल दाणा)। राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र गहलोत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, शिक्षामंत्री गोविंदसिंह डोटासरा एवं सिरोही विधायक संयम लोढा को ज्ञापन भेजकर राज्यभर में चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों की भर्ती निकालकर रोजगार के साथ राजकीय विद्यालयों एवं कार्यालयों में विधवा, तलाकशुदा एवं परित्यक्यता अबलाओ को सीधी नियुक्ति देकर 30 वर्षों से लम्बित भर्ती के पदों को भरने की मांग की। संघ के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र गहलोत ने बताया कि तत्कालीन भाजपा की वसुंधरा सरकार ने विधवाओं को प्रशैक्षणिक योग्यता के अलावा अप्रशैक्षणिक को भी अध्यापिका के पद पर सीधी नियुक्ति दी एवं उसके बाद तीन साल में सेवारत रहते हुए एसटीसी एवं बीएड करने की छूट प्रदान कर नौकरी देने का बेहतरीन अवसर आज तक किसी भी सरकार ने नहीं दिया होगा।
विद्यालयों की सफाई व्यवस्था चरमराई
राज्य में लम्बी अवधि से चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों की भर्ती पर पाबंदी से विद्यालयों की सफाई व्यवस्था चरमरा सी गई हैं। मात्र मृतक आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति के रूप में नगन्य के बराबर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद पर नियुक्ति होती हैं। राज्य के प्राथमिक उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तो चतुर्थ श्रेणी कार्मिक नगण्य के बराबर हैं जहां विद्यालयों के कमरों मैदान की सफाई किससे करवानी यह हमेंशा हर रोज मुश्किल पैदा कर देता हैं। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विधालयों में कमरों की संख्या ज्यादा हैं। एकीकरण के बाद छात्र संख्या भी बढ गई हैं जिससे फर्नीचर भी अपर्याप्त रहते हैं। छात्र नीचे बैठने को मजबुर हैं। 30 वर्षो से भर्ती नहीं होने से जब भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सेवानिवृत हुए हैं वे पद आज तक पुनः नहीं भरे गए हैं। विद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी के 90 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त होने से पूरे कमरों, कार्यालय, स्टाफ रूम आदि की सफाई करना विद्यालय के बस में नहीं होता। ऐसे में राजकीय विद्यालयों के छात्र कक्ष पंखे, दीवारे, गैलेरी आदि धुल से अटे रहते हैं।
मिडल क्लास फेमिली होने नहीं प्राप्त होता सहयोग
अभिभावक यह देखकर बडा ही अटपटा अनुभव करते हैं कि निःशुल्क अध्यापन या आर्थिक मार की मजबुरी में उनके बच्चे धूल और गंदगी में बैठकर अध्ययन को मजबुर हैं। विद्यालयों से चतुर्थ श्रेणी के कार्मिकों की प्रतिनियुक्ति अधिकारी उनके कार्यालयों में कर देते हैं जिससे उनके आराम हो जाने से वो विद्यालय की सफाई व्यवस्था को लेकर किंचित मात्र भी चिंतित नहीं रहते। विद्यालय के पास इतना फण्ड होता नहीं कि उससे कमरों के हिसाब से चतुर्थ श्रेणी कार्मिक की स्थानीय स्तर पर व्यवस्था कर सके। राजकीय विद्यालयों में करीब 95 फीसदी एससी एसटी ओबीसी छात्र अध्ययनरत हैं जिनके अभिभावक लोअर मिडल क्लास फेमिली से होने से उनसे सहयोग प्राप्त नहीं होता हैं और न ही चतुर्थ श्रेणी के पद भरने का कोई प्रावधान पिछले 30 वर्षा में किया है। वर्तमान गहलोत सरकार को चाहिए कि राज्य में सैकडों की तादाद में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के रिक्त पडे पदों पर विधवा, परित्याकताओं, तलाकशुदा अबलाओं को सीधी नियुक्ति द्वारा रोजगार देकर अबलाओं के हित में आर्थिक मदद करने की मांग की है।
इनका कहना संगठन को आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास हैं कि गहलोत की संवेदनशीलता से राज्य की अबलाओं के हित में ऐतिहासिक निर्णय होगा।
– धर्मेन्द्र गहलोत, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष।

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Gulam Mohammed

(EDITOR SEVA BHARATI NEWS) ==> Seva Bharti News Paper Approved Journalist, Directorate of Information and Public Relations, Rajasthan, Jaipur (Raj.), Mobile 7014161119 More »

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