आंतरिक चेतना का विकास महापुरुषों के ज्ञान से ही संभव
- संत कमलमुनि कमलेश ने किया चातुर्मास प्रवेश
सेवा भारती समाचार
जोधपुर। आंतरिक चेतना का विकास धन वैभव और सरकार सत्ता भी नहीं कर सकती। वह तो सिर्फ महापुरुषों के ज्ञान द्वारा ही संभव है। उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने नेहरू पार्क महावीर भवन में चातुर्मास प्रवेश पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बीज में विराट वृक्ष की शक्ति छिपी हुई है वैसे ही हमारी आत्मा के भीतर से पराक्रम करके परमात्मा शक्ति जागृत करनी है। महापुरुषों के बताए हुए मार्ग पर चलने पर ही रोग से शोक और संकट से दूर होकर सच्चे सुख की प्राप्ति कर सकते है। संत ने कहा कि कोरोना वायरस जैसी महामारी को हराने के लिए अदम्य साहस चाहिए। तपस्या, भक्ति और साधना रूपी सुरक्षा कवच को अपनाकर उसे बचा जा सकता है सावधानी बनाए रखना ही सबसे बड़ी दवाई है। संघ के मीडिया प्रभारी राकेश गोदावत ने बताया कि 98 वर्ष के मूर्तिपूजक आचार्य राजतिलक सुरेश्वर ने स्वयं पधार कर मंगल आशीर्वाद में कहा कि प्रेम करुणा सद्भाव का संचार प्राणी मात्र में हो यही चातुर्मास का मुख्य लक्ष्य होना चाहिए। जितना राग द्वेष कम होगा उतनी साधना में निर्मलता आएगी वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नेहरू पार्क ने चातुर्मास का मंगलमय प्रवेश शास्त्री नगर से प्रशासन के नियमों का पालन करते हुए जयकारों के साथ करवाया। ना कोई कलश, ना कोई ध्वज ना कोई शोर शराबा। कवि रत्न अक्षत मुनि ने दोनों महापुरुषों के मंगल मिलन को राम भरत मिलन के रूप में प्रतिपादित किया। घनश्याम मुनि, अरिहंत मुनि, कौशल मुनि ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया। सुकनराज , सुनील चोपड़ा, गुणवंत मेहता, सुरेश पारेख, अशोक गोलेछा, नरेंद्र संचेती, त्रिशला महिला मंडल वर्धमान जैन महिला मंडल जैन ज्योति महिला मंडल ने गुरुओं का अभिनंदन किया।