पुनर्रूद्धार से होगा जैव विविधता में सुधार

जोधपुर। लूणी नदी पश्चिमी राजस्थान की एक प्रमुख नदी है जो राजस्थान से गुजरात तक 2 करोड 80 लाख लोगों को प्रभावित करती है। वर्षा ऋ तु में यह बहती है तथा लूणी नदी पुनर्रूद्धार परियोजना से निश्चित ही क्षेत्र की पारिस्थितिकी एवं आर्थिकी में सुधार होगा। यह उद्गार राजस्थान वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (जैव विविधता) जीवीआर रेड्डी ने लूणी नदी के वानिकी कार्यों द्वारा पुनर्रूद्धार विषय पर विस्तृत कार्य रूप योजना हेतु राज्य स्तरीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में व्यक्त किए। रेड्डी ने इस कार्य हेतु जन साधारण को साथ जोडऩे, चारागाह क्षेत्र को बनाए रखने के साथ क्षेत्र की जैव विविधता के संरक्षण एवं संवर्धन करने औषधीय पौधों को लगाकर उचित मॉडल विकसित करने पर जोर दिया। रेड्डी ने इस दिशा में पूर्व में किए गए कार्यों को समावेश करने की जरूरत बताई।कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एमएल मीणा ने कार्यक्रम में वन्य जीवों के संरक्षण एवं उनके जल प्रबंधन के साथ-साथ फलदार वृक्षों को वानिकी कार्यक्रमों में जोडने की महत्ती आवश्यकता प्रतिपादित की।कार्यक्रम के आरम्भ में आफरी निदेशक मानाराम बालोच ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि नमामि गंगे परियोजना की तर्ज पर देश की 13 परियोजनाओं के पुनर्रूद्धार हेतु विस्तृत कार्यरूप योजना का कार्य वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है तथा आफरी को लूणी नदी के पुनर्रूद्धार हेतु (वानिकी कार्य द्वारा) विस्तृत कार्यरूप योजना बनाने हेतु कार्य सौपा गया है। उक्त कार्यरूप योजना का क्रियान्वयन वन विभाग द्वारा किया जाएगा। बालोच ने बताया कि इस परियोजना द्वारा क्षेत्र में हरियाली बढेगी।परियोजना के कार्डिनेटर डॉ. जी. सिंह ने बताया कि लूणी नदी 511 कि.मी. क्षेत्र में नागपहाडी, अजमेर से ग्रेटर रन ऑफ कच्छ तक बहती है। परियोजना के तहत लूणी नदी के दोनों और 5-5 किमी क्षेत्र तक तथा इसकी सहायक नदियों में 2-2 किमी क्षेत्र में वानिकी कार्य द्वारा पुनर्रूद्धार किया जाएगा। जी.सिंह ने बताया कि कृशि वानिकी, इकोपार्क, नदी के तटों के विकास, चारागाह प्रबंधन, मृदा एवं जल संरक्षण आदि द्वारा इस क्षेत्र में कार्य किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संगीता सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन आफरी के समूह समन्वयक (शोध) डॉ. इन्द्रदेव आर्य ने किया।तकनीकी सत्र में डॉ. जी. सिंह ने विभिन्न मॉडल पर, काजरी के डॉ. पीसी मोहराना ने जीआईएस पर तथा आफरी के पूर्व निदेशक डॉ. त्रिलोक सिंह राठौड ने विस्तृत कार्य रूप योजना के ड्राफ्ट पर प्रस्तुतीकरण दिया। कार्यक्रम में वन विभाग के अधिकारियों, कृशि विभाग, उद्यानिकी विभाग एवं आफरी के अधिकारियों ने अनेक सुझाव दिए। अब इस कार्यरूप योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा जिसे भारतीय वानिकी अनुसंधान परिषद्, देहरादून को दिया जाएगा तथा वहां से वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को सबमिट किया जाएगा।

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Gulam Mohammed

(EDITOR SEVA BHARATI NEWS) ==> Seva Bharti News Paper Approved Journalist, Directorate of Information and Public Relations, Rajasthan, Jaipur (Raj.), Mobile 7014161119 More »

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