बप्पी लहरी के पास है लाखों का सोना, जानिए क्यों लदे रहते हैं गोल्ड से

मशहूर सिंगर बप्पी लहिरी बॉलीवुड के नामचीन संगीतकारों में शुमार किए जाते हैं। वे संगीत के जादूगर हैं और नए-नए प्रयोग करने के लिए पहचाने जाते हैं। उन्हें शुरुआती कॅरियर में अपने गानों के लिए काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता वे इंडस्ट्री में ‘डिस्को किंग’ के रूप में फेमस हो गए। सोने के आभूषणों से लदे रहने वाले बप्पी दा का गेटअप दूसरों से अलग हैं, उनका म्यूजिक भी उतना ही अलग है। उनका जन्म 27 नवंबर, 1952 को कोलकाता में हुआ। उनके बचपन का नाम ‘आलोकेश लहिरी’ था। शुरू से उनकी संगीत में रुची रही हैै। वे बचपन से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फेमस होने का सपना देखते थे। क्यों पहनते हैं सोने की चेन, ब्रेसलेट और अंगूठियां
एक इंटरव्यू में बप्पी दा ने बताया कि उन्हें सोने की चेन, ब्रेसलेट पहनने की प्रेरणा रॉक एंड रोल सिंगर एलविन प्रेसले से मिली। वे एक जमाने में सोने की चेन और ब्रेसलेट पहनते थे। बप्पी ने भी इस शौक को पालना शुरू किया। धीरे-धीरे उनके पास सोने की चैन, ब्रेसलेट और अंगूठियों का शानदार कलेक्शन हो गया। बप्पी को सबसे पहले उनकी मां वनसरी लहरी ने 1974 में पहली चैन गिफ्ट की थी। दूसरी चैन उनकी पत्नी चित्रानी लहरी ने 1977 में दी थी। इसके बाद से उनके पास चैन और अंगूठियों का कलेक्शन बढ़ता गया। डिस्को किंग के पास इतने लाख को सोना डिस्को किंग के नाम से मशहूर बप्पी लहरी की एक और पहचान है और वह है स्वर्ण आभूषण से लदे रहना। संगीतकार से नेता बने बप्पी ने 2014 में चुनाव आयोग के समक्ष अपना हलफनामा पेश किया तो लोग हैरान रह गए। उन्होंने जानकारी दी है कि उनके पास 17,67, 451 रूपए की कीमत का 754 ग्राम सोना है, जबकि उनकी पत्नी चित्राणी के पास 20,74,830 रूपए की कीमत के 967 ग्राम सोने के आभूषण हैं। बप्पी दा के पास 2, 20, 000 रूपए की कीमत के 4.62 किलोग्राम चांदी के आभूषण एवं चांदी की ईंटें हैं। बप्पी दा के पास करीब 12 करोड़ रूपए की चल-अचल संपत्ति है और वह बीएमडब्ल्यू एवं ऑडी समेत पांच कारों के मालिक हैं। 4 साल की उम्र में शुरू किया तबला बजाना महज 4 वर्ष की उम्र से ही बप्पी लहिरी ने तबला बजाने की शिक्षा हासिल करनी शुरू कर दी। इसके साथ उन्होंने अपने माता-पिता से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा भी हासिल की। बतौर संगीतकार बप्पी ने अपने कॅरियर की शुरूआती 1972 में प्रदर्शित बंग्ला फिल्म ‘दादू’ से की लेकिन फिल्म टिकट खिड़की पर नाकामयाब साबित हुई। अपने सपनों को साकार करने के लिए बप्पी ने मुंबई का रूख किया। 1973 में प्रदर्शित फिल्म ‘नन्हा शिकारी’ बतौर संगीतकार उनके कॅरियर की पहली हिंदी फिल्म थी लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म भी टिकट खिड़की पर नकार दी गई। फिल्म ‘जख्मी’ से चमका सितारा बप्पी की किस्मत का सितारा 1975 में प्रदर्शित फिल्म ‘जख्मी’ से चमका। सुनील दत्त, आशा पारेख, रीना रॉय और राकेश रौशन की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में ‘आओ तुम्हे चांद पे ले जाये’ और ‘जलता है जिया मेरा भीगी भीगी रातो में’ जैसे गीत लोकप्रिय हुए लेकिन ‘जख्मी दिलों का बदला चुकाने’ आज भी होली गीतों में विशिष्ट स्थान रखता है। 1976 में उनके संगीत निर्देशित में बनी एक और सुपरहिट फिल्म ‘चलते-चलते’ प्रदर्शित हुई। फिल्म में किशोर कुमार की आवाज में ‘चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना’ आज भी श्रोताओं में बीच अपनी अमिट पहचान बनाए हुए है। मील का पत्थर साबित हुई ‘डिस्को डांसर’ 1982 में प्रदर्शित फिल्म ‘नमक हलाल’ उनके कॅरियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है। प्रकाश मेहरा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म में किशोर कुमार की आवाज में बप्पी का संगीबतद्ध यह गीत ‘पग घुंघरू बांध मीरा नाची थी’ उन दिनों श्रोताओं में क्रेज बन गया था और आज भी जब कभी सुनाई देता है तो लोग थिरकने पर मजबूर हो उठते है। 1983 में प्रदर्शित फिल्म ‘डिस्को डांसर’ बप्पी के कॅरियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। बी.सुभाष के निर्देशन में मिथुन चक्रवर्ती की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में बप्पी के संगीत का नया अंदाज देखने को मिला। ‘आइ.एम.ए डिस्को डांसर’ और ‘जिमी जिमी जिमी आजा आजा’ जैसे डिस्कों गीत ने श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया।

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Gulam Mohammed

(EDITOR SEVA BHARATI NEWS) ==> Seva Bharti News Paper Approved Journalist, Directorate of Information and Public Relations, Rajasthan, Jaipur (Raj.), Mobile 7014161119 More »

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