लोढ़ा ने कहां मोदी अपनी विफलता को स्वीकार करते हुए नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे

सिरोही। केन्द्र की मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दो साल पूर्ण होने पर उनकी देशहित के विरोधी नितियों के खिलाफ सिरोही विधायक संयम लोढ़ा रविवार को अकेले धरने पर बैठे। अपने सिंबोलिक धरने में लोढ़ा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से त्यागपत्र की मांग की। उन्होंने कहां कि नैतिकता के आधार पर विफलता को स्वीकार मोदी को त्याग पत्र देना चाहिए।
सिरोही विधायक ने बताया कि मोदी वन और टू को मिलाकर कुल सात साल हो गए हैं। इन सात सालों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गलत नितियों के कारण देश ने जो भी कुछ आजादी को बाद हासिल किया था वो सबकुछ गंवा दिया है। लोढ़ा ने बताया कि दूसरे कार्यकाल के दूसरे साल में वो किया जो आजाद भारत के इतिहास में नहीं हुआ। कोरोना महामारी की दूसरी लहर को सबसे खराब ढंग से निपटने वाले विश्व नेताओं में प्रधानमंत्री मोदी शुमार हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश से वायदा किया था कि भारत को वेक्सीनेशन प्रोग्राम तेजी से आगे बढ़ रहा है और वो पूरे देश को वेक्सीनेट करवाने के लिए कटिबद्ध हैं। लेकिन, इसके विपरीत दूसरी लहर आने तक उन्होंने वेक्सीन उत्पादन और ऑर्डर की कवायद नहीं की। जिससे जहां अमेरिका ने अपने 13 करोड़ से ज्यादा लोगों को वेक्सीनेट कर लिया है तो विश्व में सबसे ज्यादा आबादी होने के बावजूद चीन ने अपने 58 करोड़ से ज्यादा नागरिकों को सिंगल डोज वेक्सीन दे दी है। वहीं भारत के नागरिक वेक्सीनेशन के लिए जूझ रहे हैं। केन्द्र द्वारा निशुल्क वेक्सीनेशन से मुकरने पर सभी राज्य अपने स्तर पर अपने खर्च पर अपने नागरिकों को वेक्सीनेशन के लिए तैयार भी हो गए, लेकिन मोदी सरकार उन्हें वेक्सीन उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। इतना ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्यों को वेक्सीन खरीदने पर भी असहयोगात्मक रुख अपना रही है।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक में वायरल ऑडियो में ये बात सामने आई है कि निजी चिकित्सालय ज्यादा दाम लेकर वेक्सीन लगवा रहे हैं और निशुल्क वैक्सीन देने वाले सरकारी वेक्सीनेशन सेटर वेक्सीन की अनुपलब्धता के कारण बंद पड़े हैं। ये मोदी सरकार की वैक्सीन वितरण नीति की सबसे बड़ी विफलता और देश के लोगों के साथ सबसे बड़ा धोखा है।
लोढ़ा ने कहा कि उनकी नोटबंदी, जीएसटी और लॉकडाउन के कारण जहां देश के लोगों की आय कम हुई है लोग बेरोजगार हुए। इस पर भी मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर सेंट्रल एक्साइज बढ़ाकर, कोरोना जैसी बीमारी में लाइफसेविंग ड्रग्स पर टैक्स लगाकर और महंगाई की मार करके भारत के लोगों का स्वाभिमान के साथ अपनी न्यूनतम जरूरत को पूरा करने से भी महरूम कर दिया है। इसलिए उन्हें अपने पद से इस्तीफा देकर उनकी पार्टी के सक्षम नेताओं को देश की कमान सौंपनी चाहिए।