कृषि को नए आयामों पर ले जाने में कोई कोर कसर ना छोड़े राज्यपाल

सेवा भारती समाचार

जयपुर। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कोविड काल में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने की पहल की है। राज्यपाल  मिश्र ने विश्वविद्यालयों में समय पर उपाधियां प्रदान करने के लिए इस विपरित परिस्थिति में भी वर्चुयल दीक्षांत समारोह आयोजित कराया ताकि छात्र-छात्राओं को आगे की पढ़ाई में किसी भी तरह का व्यवधान न आये। प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में यह पहला वर्चुयल दीक्षांत समारोह था। इसमें राज्यपाल ने उत्कृष्ट छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक और 900 से अधिक छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान कीं। छात्र-छात्राओं में उत्साह बनाये रखने के लिए वर्चुयल दीक्षांत समारोह का राज्यपाल ने आयोजन कराया। इस दीक्षांत समारोह में भारतीय वेशभूषा में राजस्थानी टच का भी पूरा ध्यान रखा गया। राज्यपाल  मिश्र राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी है। राज्यपाल एवं कुलाधिपति  कलराज मिश्र ने कहा है कि कृषि से जुड़े सभी नीति निर्धारकों, वैज्ञानिकों, अध्यापकों, उद्यमियों और विद्यार्थियों पर बड़ी ज़िम्मेदारी है। उन्होंने कहा है कि कृषि को नए आयामों पर ले जाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ें और कृषक वर्ग को आय सुरक्षा प्रदान करने में अपना योगदान दें। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय पर मरू क्षेत्र में कृषि विकास की भी ज़िम्मेदारी है क्योंकि इस क्षेत्र में अनुसन्धान, नए उद्यमों व नवाचार की अभी बहुत गुंजाइश है, इस क्षेत्र में काफी कुछ किया गया है और काफी कुछ किया जाना अभी बाकी है। वैश्वीकरण के प्रभावों से कृषि क्षेत्र अछूता नहीं है। वैश्वीकरण का लाभ उठाने के लिए कृषि उत्पादों में गुणवत्ता एवं मूल्य संवर्धन पर अधिक काम करने की आवश्यकता है। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने शुक्रवार को राजभवन से स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर के दीक्षांत समारोह की ऑनलाइन अध्यक्षता की। विश्वविद्यालय का यह सत्रहवां दीक्षांत समारोह था। प्रदेश में किसी भी विश्वविद्यालय का यह प्रथम वर्चुयल दीक्षांत समारोह था। समारोह में राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन स्वर्ण पदक और उपाधियां प्रदान की। राज्यपाल ने इस मौके पर संविधान उद्यान का ऑनलाइन शिलान्यास किया। राज्यपाल ने संविधान की प्रस्तावना व मूल कर्तव्य का वाचन करवाया। कुलाधिपति  कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालय के ए डिकेड ऑफ रिसर्च अचीवमेन्टस और किसानों की प्रेरणादायी सफलता की कहानियों के प्रकाशनों का भी ई विमोचन किया। कुलाधिपति  मिश्र ने कहा कि कृषि शिक्षा की ओर विद्यार्थियों के बढ़ते रूझान से कृषि का भविष्य उज्ज्वल नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि असिंचित भूमि में उर्वरक, कीटनाशकों व अन्य रसायनों का प्रयोग कम होता है। यह क्षेत्र जैविक खेती के लिए उपयुक्त है। कृषि शिक्षा, शोध व प्रसार माध्यमों से जैविक खेती पर अधिक काम किया जाए। यह खेती मानव स्वास्थ्य व जलवायु दोनों के लिए ही लाभकारी सिद्ध होगी। राज्यपाल ने कहा कि आज के युग में जब हम वैश्वीकरण की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं तब यह आवश्यक है कि हमारे किसान कृषि उत्पादक संघ बना कर सहकारिता के सिद्धांत के साथ काम करें। विश्वविद्यालय इस दिशा में किसानों की बीज खरीदने से लेकर विपणन तक की सहायता करें। श्री मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालयों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझते हुए इस दिशा में जो भी अनुसन्धान करने हैं, उनकी तैयारी करते हुए जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने की कोशिश करें, लेकिन विकास की रफ़्तार पर विराम न लगने दें। राज्यपाल ने इस समय को कृषि वैज्ञानिकों के लिए चुनौतीपूर्ण बताया है। उन्होंने वैज्ञानिकों को एकजुट होकर काम करने को कहा है। राज्यपाल ने कहा कि सभी कृषि विश्वविद्यालयों को समान उद्देश्यों की पूर्ति के लिए समन्वित तरीकों से परियाजनाओं पर काम करना चाहिए ताकि प्रदेश समन्वित विकास की ओर बढ़ सकें। उन्होंने युवाओं का आहवान किया कि युवाओं के पास अपने सपने पूरे करने व मुकाम हासिल करने के अनेक अवसर हैं। ज़रुरत है कि युवा अच्छी कार्य योजना बनाकर, अवसरों का लाभ उठाते हुए, अपनी मेहनत के बल पर आगे बढ़ें और देश की प्रगति में भी भागीदार बनें। मिश्र ने आशा व्यक्त की कि सभी युवा, देश में कृषि क्षेत्र व किसानों की स्थिति सुधारने में महती भूमिका निभाते हुए कृषि को एक लाभकारी उद्यम बनाने में सहयोग करें, ताकि भविष्य में कृषि व ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का रुझान बढ़ सके। राज्यपाल ने कहा कि कोविड महामारी के समय जिस तरह से ग्रामीणों को, शहरों से अपने गांवों की तरफ दौड़ना पड़ा, वह अत्यंत पीड़ादायक रहा। उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों एवं विद्यार्थियों का आह्वान किया कि ऎसे प्रयास किए जाने चाहिए कि ग्रामीणों को गावों में ही रोज़गार मिलें। ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को गाँवों में ही व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। अपने क्षेत्रों की संभावनाओं को पहचानें। लोकल को वोकल बनाने की आज आवश्यकता है, तब ही देश का संतुलित  विकास और देश आत्मनिर्भर बन सकेगा। समारोह में दीक्षांत भाषण पदमभूषण प्रोे. आर.बी. सिंह ने दिया। विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन कुलपति प्रो. आर.पी. सिंह ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव  सुबीर कुमार और प्रमुख विशेषाधिकारी  गोविन्दराम जायसवाल भी मौजूद थे।

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Gulam Mohammed

(EDITOR SEVA BHARATI NEWS) ==> Seva Bharti News Paper Approved Journalist, Directorate of Information and Public Relations, Rajasthan, Jaipur (Raj.), Mobile 7014161119 More »

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