मोदी सरकार का संकल्प- जम्मू कश्मीर में आतंकियों का खात्मा होकर रहेगा
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘ऑपरेशन महादेव’ आतंकवादी हमलों के जवाब में सबसे सटीक, सख्त और त्वरित जवाब है

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने हाल ही में राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव की उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ने जिस दृढ़ता और निर्णायकता के साथ आतंकवाद को जवाब दिया है, वह पूरी दुनिया के लिए एक आदर्श है।
आतंकवाद को जड़ से मिटाने और कश्मीर के लिए अपनी जान तक की बाजी लगा देने वाले शाह ने इस मौके पर स्पष्ट चेतावनी दी कि कांग्रेस ने पाकिस्तान को पीओके दिया था, लेकिन भाजपा सरकार उसे वापस लाएगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की अटूट राजनीतिक इच्छाशक्ति ने ऑपरेशन सिंदूर को संभव बनाया। इस ऐतिहासिक अभियान में भारत ने पहली बार पाकिस्तान की धरती पर मौजूद आतंकी ठिकानों को सटीक निशाना बनाते हुए मिट्टी में मिला दिया। पाकिस्तान की एयर डिफेंस प्रणाली को आधे घंटे से भी कम समय में ध्वस्त कर दिया गया, और यह संदेश दिया गया कि नया भारत अब डोज़ियर नहीं, बल्कि मिसाइल से जवाब देता है। यह कदम न केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन था, बल्कि एक स्पष्ट संकेत भी कि भारत की संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा।
सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ राजनीतिक स्तर पर भी कठोर कदम उठाए गए। कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक में एकतरफा सिंधु जल संधि को रोकने, अटारी से एकीकृत जाँच चौकी बंद करने और पाकिस्तानी राजनयिकों की संख्या घटाने जैसे फैसले लिए गए। इन निर्णयों ने पाकिस्तान को यह साफ संदेश दिया कि भारत अब हर मोर्चे पर आक्रामक रुख अपनाने के लिए तैयार है।
वहीं, ऑपरेशन महादेव ने भारत की रणनीतिक क्षमता और राजनीतिक दृढ़ता का दूसरा आयाम प्रस्तुत किया। इस अभियान के तहत पहलगाम हमले में शामिल तीन पाकिस्तानी आतंकियों – सुलेमान, अफगान और जिब्रान – को सुरक्षा बलों ने सटीक कार्रवाई में मार गिराया। इस पूरे अभियान की सफलता अमित शाह की दूरदर्शी रणनीति और जवानों की अदम्य वीरता का परिणाम रही। 22 मई से 22 जुलाई तक लगातार निगरानी और खुफिया प्रयासों के बाद 28 जुलाई को भारतीय सेना ने इन आतंकियों को घेरकर खत्म किया। यह भी दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया गया कि कोई भी हिंदू आतंकवादी नहीं हो सकता।
इन अभियानों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नया भारत अब केवल प्रतिक्रियात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक रुख अपनाने वाला राष्ट्र है। पाकिस्तान को अपने DGMO के माध्यम से युद्धविराम की गुहार लगानी पड़ी, जो इस बात का प्रमाण है कि भारत की रणनीति ने उसकी आंतरिक और बाहरी सुरक्षा व्यवस्था को हिला कर रख दिया।